वीरों का हिंदुस्तान
भूटान नही चट्टान है ये,
वीरों का हिंदुस्तान है ये।
बासठ तुमको याद है जो धोखे का तंज है,
तुमको भारत से इतना क्यू रंज है?
हमने गलती से सीख लिया,
अपनी धरती से भीख लिया,
तुम नजर उठा कर देखो
दुश्मन के लिए श्मशान है ये।
वीरों का हिंदुस्तान है ये।
सवा लाख से लड़ने वाले सरदारों की धरती है,
रानी झांसी याद करो ये तलवारों की धरती है,
घास की रोटी खाने वाले हम राणा के वंशज हैं,
कई शहीदों की फांसी के फंदे का अरमान है ये।
वीरों का हिंदुस्तान है ये।
मत सोच की तेरी सेना भारी है,
तकनीकि नई और आयुधधारी है।
सिंघो सी हुँकार लिए जब रण में वीर पधारेंगे,
फिर गगन धरातल देखेंगे कैसे ये विजय हमारी है।
न समझ हवा का इक झोंका जलजला है तूफ़ान है ये,
वीरों का...
दुश्मन के लिए श्मशान है ये।
वीरों के लिए...
सत्य अंहिसा की धरती
त्याग तपस्या की धरती
पावन गंगा की धरती
अटल तिरंगा की धरती
रोम रोम में बसने वाली माता की पहचान है ये,
वीरों का हिंदुस्तान है ये।
रचयिता
प्रभात त्रिपाठी गोरखपुरी
(स0 अ0) पू मा विद्यालय लगुनही गगहा,
गोरखपुर
वीरों का हिंदुस्तान है ये।
बासठ तुमको याद है जो धोखे का तंज है,
तुमको भारत से इतना क्यू रंज है?
हमने गलती से सीख लिया,
अपनी धरती से भीख लिया,
तुम नजर उठा कर देखो
दुश्मन के लिए श्मशान है ये।
वीरों का हिंदुस्तान है ये।
सवा लाख से लड़ने वाले सरदारों की धरती है,
रानी झांसी याद करो ये तलवारों की धरती है,
घास की रोटी खाने वाले हम राणा के वंशज हैं,
कई शहीदों की फांसी के फंदे का अरमान है ये।
वीरों का हिंदुस्तान है ये।
मत सोच की तेरी सेना भारी है,
तकनीकि नई और आयुधधारी है।
सिंघो सी हुँकार लिए जब रण में वीर पधारेंगे,
फिर गगन धरातल देखेंगे कैसे ये विजय हमारी है।
न समझ हवा का इक झोंका जलजला है तूफ़ान है ये,
वीरों का...
दुश्मन के लिए श्मशान है ये।
वीरों के लिए...
सत्य अंहिसा की धरती
त्याग तपस्या की धरती
पावन गंगा की धरती
अटल तिरंगा की धरती
रोम रोम में बसने वाली माता की पहचान है ये,
वीरों का हिंदुस्तान है ये।
रचयिता
प्रभात त्रिपाठी गोरखपुरी
(स0 अ0) पू मा विद्यालय लगुनही गगहा,
गोरखपुर
(9795524218)
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