बैठ भाग्य को जी भर कोसा
बैठ भाग्य को जी भर कोसा !
मेहनत पर अब नहीं भरोसा !!
मेहनत पर अब नहीं भरोसा !!
दरवाजे दीवाली होली
खाली जेबें खाली झोली
देख देख मेरी लाचारी
हँसे गरीबी बस बेचारी
सूखी रोटी जब थाली में
फिर अम्मा ने आज परोसा !
बैठ --------------------------
खाली जेबें खाली झोली
देख देख मेरी लाचारी
हँसे गरीबी बस बेचारी
सूखी रोटी जब थाली में
फिर अम्मा ने आज परोसा !
बैठ --------------------------
जीवन भर करते मजदूरी
इच्छाएँ मर गयीं अधूरी
गिरवी रख कर सब कुछ अपना
देखा था कुछ मुझमें सपना
सोच सोच भर अाती आँखें
कैसे मुझको पाला पोसा !
इच्छाएँ मर गयीं अधूरी
गिरवी रख कर सब कुछ अपना
देखा था कुछ मुझमें सपना
सोच सोच भर अाती आँखें
कैसे मुझको पाला पोसा !
बैठ --------------------------
खाँसे बापू बिना दवाई
बैठा भाई छोड़ पढ़ाई
करके कर्म बहुत है देखा
किन्तु न बदली अब तक रेखा
भ्रष्ट बाबुओं के घर चाँदी
दिन भर चलता चाय समोसा !
बैठ---------------------------
बैठा भाई छोड़ पढ़ाई
करके कर्म बहुत है देखा
किन्तु न बदली अब तक रेखा
भ्रष्ट बाबुओं के घर चाँदी
दिन भर चलता चाय समोसा !
बैठ---------------------------
रचयिता
छाया त्रिपाठी ओझा,
सहायक अध्यापक,
बेसिक शिक्षा फतेहपुर।
छाया त्रिपाठी ओझा,
सहायक अध्यापक,
बेसिक शिक्षा फतेहपुर।
सुन्दर रचना... बधाई !!
जवाब देंहटाएं👌👌👌💐