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लहू तुम्हारी छाती से

नहीं डरेंगे हिंदुस्तानी तेरे एटमी हथियारों से ।
निपट लेंगे हम अंदर और बाहर के गद्दारों से ।
    कान खोलकर ड्रैगन सुन ले,
    सही  राह  अब  से  चुन  ले,
    हिंदुस्तान कह  रहा शान से,
    हटाले सैनिक  डोकलाम से,
    उसके बाद  होगी मुलाकात,
    तभी  करेंगे  मन की  बात ,
वरना कुछ नहीं होगा तेरे पालतू अखबारों से।
निपट लेंगे हम अंदर और बाहर के गद्दारों से ।

    सुन ले तू भी पाकिस्तान,
    कितना  है  रे  तू नादान,
    ड्रैगन के बाहों में झूल गया,
    पैंसठ और एकहत्तर भूल गया,
    उखाड़ फेंका था तुझे कारगिल की घाटी से,
    अब की बार पिएंगे "लहू तुम्हारी छाती से",
"बांध लें बिस्तर" कह दो अपने आतंक के दुकानदारों से।
निपट लेंगे हम अंदर और बाहर के गद्दारों से।

    पत्थरबाजों होश में आओ,
    पढ़ लिख कर कुछ नाम कमाओ,
    सेना पर पत्थर फेंकना बंद करो।
    पांच सौ में खुद को बेचना बंद करो,
    उखाड़ फेंको इन लोकतंत्र के हत्यारों को,
    तोड़ डालो तीन सौ सत्तर के दीवारों को,
वरना भीख मांगते रहोगे जीवन भर सरकारों से।
निपट लेंगे हम अंदर और बाहर के गद्दारों से।

    जब जब आतंकी पकड़े जाते,
    वकील कहां से इनको मिल जाते,
    जिसने भारत मां को रौंदा,
    उसी के लिए कर लिया सौदा,
    चंद पैसों में अपनी अस्मत बेच कर,
    आधी रात को पहुंच गए न्यायालय के गेट पर,
ऐसे देशद्रोहियों का गर्दन काट डालो तलवारों से।
निपट लेंगे हम अंदर और बाहर के गद्दारों से ।

    अंतिम बात कह रहा जेएनयू के लालों से ,
    हमारे ही दिए टुकड़ों पर पलने​ वालों से,
    जिसके टुकड़े खा कर सांसो को संभाल रहे,
    उसी के टुकड़े करने का मंसूबा पाल रहे,
    कर्ज चुके इन टुकड़ों का कुछ कर्म करो,
    अरे बेशर्मों  कुछ  तो  शर्म करो,
नादानी छोड़ो बंद करो खेलना इन अंगारों से ।
निपट लेंगे हम अंदर और बाहर के गद्दारों से।

लेखक     
दुर्गेश्वर राय
सहायक अध्यापक
विकास क्षेत्र -उरुवा, जनपद -गोरखपुर
मोबाइल नंबर 8423245550
ईमेल - durgeshwarraigmail.com

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