चन्द्र विजय
चन्द्र विजय
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पहुंच सका न कोई जहां पर,
आज पहुंचा हिंदुस्तान वहां,
चंद्र विजय का बांध मुकुट,
अब इठलाता प्रज्ञान वहां ।
आज चंद्रयान को ,
मिली सफलता भारी ,
भारत की जय-जय ,
करती दुनिया सारी ।
कहते थे ये देश है ,
सांप सपेरों का , आज
दुनिया लोहा मान रही
प्रज्ञान की मेधा का ।
चंद्र तिमिर के गहवर में,
आशा की ज्योति जलाई,
संकल्पों की सिद्धि ने ,
वहां आज पताका फहराई ।
अब चांद के मिथक बदल
दो, यह कहता है इसरो ,
नए शोध की करो तैयारी
अब पौराणिक बातें बिसरो।
✍️ लेखक :
प्रदीप तेवतिया
एआरपी हिन्दी
सिम्भावली, हापुड़
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