पुरस्कार की लोलुपता
पुरस्कार की लोलुपता
शिक्षकों के लिए पुरस्कार,
एक सपना है जो कभी नहीं मरता.
यह एक पुरस्कार है,
जो उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण के लिए दिया जाता है.
यह एक पुरस्कार है,
जो उन्हें यह बताता है कि वे माने जाते हैं,
और कि वे एक मूल्यवान संपत्ति हैं.
यह एक पुरस्कार है,
जो उन्हें प्रेरित करता है,
और उन्हें और भी बेहतर काम करने के लिए प्रोत्साहित करता है.
लेकिन कुछ शिक्षक,
पुरस्कार की लोलुपता में पड़ जाते हैं.
वे पुरस्कार के लिए इतनी अधिक लालायित होते हैं,
कि वे अपनी कर्तव्यों को भूल जाते हैं.
वे अपने छात्रों के लिए समय नहीं निकालते,
और वे अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते.
वे सिर्फ पुरस्कार के बारे में सोचते हैं,
और वे यह नहीं देखते कि वे क्या खो रहे हैं.
वे खो रहे हैं,
अपने छात्रों के साथ जुड़ने का अवसर,
और वे खो रहे हैं,
अपने छात्रों को शिक्षित करने का अवसर.
वे खो रहे हैं,
अपनी पढ़ाई करने का अवसर,
और वे खो रहे हैं,
अपने ज्ञान को बढ़ाने का अवसर.
वे खो रहे हैं,
अपने जीवन को बेहतर बनाने का अवसर,
और वे खो रहे हैं,
अपने छात्रों के जीवन को बेहतर बनाने का अवसर.
तो, शिक्षकों,
पुरस्कार की लोलुपता में मत पड़ो.
अपने छात्रों के लिए समय निकालो,
और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो.
पुरस्कार तो एक उपहार है,
लेकिन यह तुम्हारी कर्तव्यों को पूरा करने का कारण नहीं है.
अपने छात्रों को शिक्षित करो,
और अपने ज्ञान को बढ़ाओ.
अपने जीवन को बेहतर बनाओ,
और अपने छात्रों के जीवन को बेहतर बनाओ.
यह ही पुरस्कार की सच्ची कीमत है.
✍️ प्रयासकर्ता : प्रवीण त्रिवेदी "दुनाली फतेहपुरी"
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