चांद के घर मेहमान उतारा है हमने
एक नया इम्कान उतारा है हमने
चांद के घर मेहमान उतारा है हमने
खुशियों का ऐलान उतारा है हमने
कुछ ऐसा सामान उतारा है हमने
चांद हमारी छत पर उतरा करता था
उसका ये अहसान उतारा है हमने
दुनिया भर के मुल्क लगे थे कोशिश में
सबसे आलीशान उतारा है हमने
जितने भी मज़मून बनाने वाले थे
उन सबका उन्वान उतारा है हमने
बद-नज़रों से चंदा की रखवाली को
अपना इक दरबान उतारा है हमने
✍️ लेखक : पुष्पेंद्र पुष्प
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