चश्मा जो उतार दिया
मैंने अपने चश्मे को उतार दिया,
और दुनिया को एक नए सिरे से देखा.
चीजें अब पहले जैसी नहीं थीं.
वे छोटी और धुंधली थीं,
लेकिन वे वास्तविक थीं।
मैंने अपने चश्मे को उतारकर,
मैंने वास्तविकता को देखा.
मैंने उन चीजों को देखा,
जिन्हें मैं पहले कभी नहीं देख पाया था।
मैंने अपने चश्मे को उतारकर,
मैंने एक नया रास्ता खोज लिया.
एक रास्ता, जो मुझे वास्तविकता से जोड़ता था।
मैंने अपने चश्मे को उतारकर,
मैंने एक नया जीवन जीना शुरू कर दिया.
एक जीवन, जो पूर्ण और सार्थक था।
✍️ प्रयासकर्ता : प्रवीण त्रिवेदी "दुनाली फतेहपुरी"
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