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चलो दहाई बनते हैं



मैं शून्य हूं और तुम एक,
चलो दहाई बनते हैं।

हम मिलकर बनाते हैं दस,
एक नई शुरुआत।

एक नई कहानी,
एक नई संभावना।

हम मिलकर कुछ भी कर सकते हैं,
हम दुनिया बदल सकते हैं।

चलो मिलकर दहाई बनते हैं,
और एक नई शुरुआत करते हैं।

हम मिलकर पहाड़ों को हिला सकते हैं,
हम मिलकर नदियों को मोड़ सकते हैं।

हम मिलकर दुनिया को बेहतर बना सकते हैं,
हम मिलकर एक नया भविष्य बना सकते हैं।


चलो मिलकर दहाई बनते हैं,
और एक नई शुरुआत करते हैं।

हम मिलकर अजेय हैं,
हम मिलकर असंभव को संभव बना सकते हैं।

चलो मिलकर अपना सपना पूरा करते हैं,
और दुनिया में बदलाव लाते हैं।

चलो मिलकर दहाई बनते हैं,
और एक नई शुरुआत करते हैं।

हम मिलकर कुछ भी कर सकते हैं,
हम मिलकर दुनिया बदल सकते हैं।

चलो मिलकर दहाई बनते हैं,
और एक नई शुरुआत करते हैं।


✍️  प्रयासकर्ता : प्रवीण त्रिवेदी "दुनाली फतेहपुरी"

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