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शहीद/दिवंगत शिक्षक साथियों को नमन

 शहीद/दिवंगत शिक्षक साथियों को नमन

आए ना लौट के वो कहां खो गए-आए न लौट के वो कहाँ खो गए।
वो इलेक्शन की ड्यूटी को करने गए,जो थे कर्तव्य पूरे वहां हो गए।
कष्ट सहकर भी ड्यूटी निभाते रहे,आए न लौट के वो कहां खो गए।।
आए ना लौटके वो कहाँ खो गए---वो इलेक्शन की ड्यूटी करने गए

लौट आएंगे वो मां से कहकर गए,बीबी देखे कि अब लौट आएंगे वो।
बच्चे कब सो गए पापा आए नहीं,आएंगे हमको गोदी खिलाएंगे वो।।
बीबी जागी रही मां भी सोई नही,अब भी जागे हों या वो कहां सो गए।
कष्ट सहकर भी ड्यूटी निभाते रहे, आए ना लौट के वो कहां खो गए।। 
आए ना लौटके वो कहाँ खो गए।।
आए न लौटके वो कहाँ खो गए----वो इलेक्शन की ड्यूटी को करने गए

फैला कोरोना क्या गांव क्या हो शहर ,फैली बीमारी बीमार वो हो गए।
सारा पैसा लिया अस्पतालों ने जब,बच न पाए मगर जान वो खो गए।।
उजड़ी दुनिया सभी की तुम्हारे बिना,बोलते ही नहीं तुम यहाँ सो गए।
कष्ट सहकर भी ड्यूटी निभाते रहे,आए न लौटके वो कहाँ खो गए।।
आए न लौट के वो कहाँ खो गए---वो इलेक्शन की ड्यूटी को करने गए

जीवन कश्यप 'अंकुश'
ARP/स0अ0
वि0 क्षे0 दहगवां जनपद बदायूं
मूल विद्यालय- प्राथमिक विद्यालय सरौता विल0क्षे0 उझानी जनपद बदायूं
गृह जनपद -अलीगढ़

यह रचना पंचायत चुनाव में कोरोना संक्रमित होने बाद अपने प्राण गंवाने वाले शिक्षक साथियों को समर्पित है।

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