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मिटा दो भयमय तिमिर

मिटा दो भयमय तिमिर


हे ! चैतन्य,,,
मिटा दो ये भयमय तिमिर,,,
यह खौफ भरा मंजर""...
लौटा दो पहले सी रौनक
 हटा दो हर ओर पसरा सन्नाटा,,! अब ना दो हर चेहरे पर बेबसी,, घटा दो मौतों के ,,,
बढ़ते काफिले  को ....!
अवरुद्ध कर दो इस अधम कालरूपी ,,,
उमड़ी झंझावात को 
संभाल लो नरसंहार की
 प्रचंड विपदा को,,।
 बहा दो दूर तटनी में 
इस विकराल दानव को ,,
खा चुका जाने कितने 
अनगिनत अपने बेगाने ,,,
पहर बाकी था जिनका अभी 
इस चमन में ,,,।
क्षमा दो अब तो थोड़ी सी 
जो यह त्राहिमाम है जग में ,,।
बचा दो अब यह जग सारा ,,,
जरा दृष्टि धरा पर ,,,धरो चैतन्य ! बहुत नदियां अश्रुजल से भर गई! चहू ओर दिशाएं
 मृतकों से पट गई ! 
जला दो दीप  ऐसा""
ना बुझे कोई दीप ,,,,
अब किसी आंगन में ।
बहुत क्रंदन हुआ जग में ,,
बहुत खोया है सबने !
अब चमत्कार दो ऐसा 
ना कोई रोए किसी घर में ।
 बेबसी उनकी भी देखो 
जो बेबस निहारे हैं ,,,,तुमको 
खुला दो थमे रास्ते लगे ताले 
जो भूखे खड़े पुकारे,,, तुमको ।
 गई है थक बहुत आंखें 
अंधेरे स्याह आंखों में 
जला दो उम्मीद की ज्योति,,।
खिला दो नवल स्वस्थ 
सुखमय सवेरा ,,,।
दूर कर दो ,,व्याधि भरा 
भयानक क्षोभ ,,!
हे ! चैतन्य 
मिटा दो अब यह भयमय तिमिर मिटा दो ,,,,,,,मिटा दो ये तिमिर ,,।।

✍️
दीप्ति राय (दीपांजलि )
प्राथमिक विद्यालय रायगंज
खोराबार गोरखपुर

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