रोको तुम संहार प्रभु
रोको तुम संहार प्रभु
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हम मान चुके हैं हार प्रभु,
बदला मानव व्यवहार प्रभु।
चहु ओर मचा हाहाकार प्रभु,
अब रोको तुम संहार प्रभु ।।
अब तक हुई जो भूल प्रभु,
हम सब करते कबूल प्रभु ।
बंद हर उल- जलूल प्रभु ,
अब और न तोड़ो फूल प्रभु।।
जो देते थे हम को प्राणवायु,
उन पेड़ों को हम ने काटा है।
जो धरा को करते थे उर्वर ,
उन तालों को हमने पाटा है।।
पावन सरिता अमृत जलधारा,
इस मर्म को नहीं टटोला हमने।
जो सिंचित करती रही धरा को,
उसमें भी जहर घोला हमने ।।
सुरम्य फिजाएं स्वच्छ हवाएं ,
मिटकर पुष्पों ने जिसे पाला है,
हमारे प्रगति से निकली गैसों ने,
उसे भी दूषित कर डाला है ।।
अद्भुत अपरिमित सृष्टि का,
कुछ राज जानकर ऐंठे थे ।
चंद मिसाइल और बम बना,
खुद को भगवान मान बैठे थे।।
हम सबके गुनाहगार प्रभु,
हम डाल चुके हथियार प्रभु।
हम सुधरेंगे इस बार प्रभु ,
पर रोको तुम संहार प्रभु।।
अब रोको तुम संहार प्रभु।।
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दुर्गेश्वर राय
सहायक अध्यापक
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बलुआ
विकास क्षेत्र उरूवा, जनपद गोरखपुर
संपर्क 8423245550,9454046203
durgeshwarrai@gmail.com
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