भारत को उन्नत बनाएं
भारत को उन्नत बनाएं
स्वर्णिम सी है काया
अपने भारत मां की।
आओ मिल सब मान बढ़ाएं
अपने देश चमन की।
त्याग अपने शूर वीरो का
अंत समय तक ना भूले हम
अमन शांति और वैभव आए
ऐसी ज्ञान रश्मि की आभा बिखेरे हम,,,।
सतत सत्य हो प्रण हमारा
धर्म पे प्राण निछावर हो ।
शोभित हो संसार सकल
पुण्य प्रवेश करें मन में
जीवन सुलभ हो जग जीवन का
ऐसी शुभ्र संस्कृति का
पालनहार बने हम ,,,।
समता, ममता सुसंस्कृति एकता
वेदों पुराणों मंत्रों से
परिपूर्ण यह भारत देश मेरा।
शुभ्र हिमालय अडिंग खड़ा
कल कल कलरव करती
निर्मल गंगा यमुना बहती ।
दिवाकर भी तेजस लाए
मखमली सौम्य सी अपनी धरती ।
ऐसी पावन धरा को संरक्षित करने का,,, दृढ़ संकल्प कर ले हम ।
शश्य शामलम धरा पे अपनी
दिव्य ज्योति का गौरव लाए ।
अविरल नित अंबर से ऊंचा
अपना तिरंगा लहराएं ।
वीर शहीदों की भांति
अपने प्राण गवाएं हम ,,,,।
नव पल्लवित कुसुमों से
देश हमारा सजा रहे।
किसी रूप में किसी भेष में
देश हमारा ना क्षीण पड़े ....।
तन से मन से और वचन से
देश की सेवा करे हम ।
प्रचंड अंगार बन,,....!
शत्रु का नाश क़ाल बन,,
जला द्वेष अस्थियां ...!
अमिट चिंगार बन ..।
आहत हो शत्रु ....
करुण कृंदन करे ।
दहकते भाव ..अब यही
सभी हृदयों में भरे हम ।
उपयुक्त है ....सही यहीं..
यही ...धरा की मांग है ।
शस्त्र जो देश के ..अहित बने?
उनके संहार के ....
सैकड़ो ससस्त्र तैयार करने है ।
जो तम में खिले,,,,
वो प्रदीप टिमटिमा रहा ।
यह कालचक्र गति लिए
वीरों की गाथा दोहरा रहा ।
देश के कर्मपथ से
कभी ना विचलित हो हम ।
त्याग और बलिदान से अपने
सरल नीर बहाए हम ।
स्वर्ण रूप सा ..सर्वोच्च स्वरूप में
भारत को दीपित बनाए हम,,,
भारत को उन्नत बनाए हम ,,।।
✍️
दीप्ति राय (दीपांजलि)
प्राथमिक विद्यालय रायगंज
खोराबार, गोरखपुर
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