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झाँसी की रानी

विधा- चौका
विषय- झाँसी की रानी

साहसी थी वो, 
बड़ी निडर थी वो, 
अकेली ही वो, 
सब पर भारी थी। 
अंग्रेज भी थे, 
भयभीत उससे, 
बड़ी जोशीली, 
भारतीय नारी थी।। 

वह नहीं थी, 
कोई अबला नारी, 
जन्मजात ही, 
वह तो सबला थी। 
दी थी प्रेरणा, 
तैयार की थी फौज, 
फिरंगियों को, 
भगाने की ठानी थी।। 

न थी सरल, 
डगर जीवन की, 
काँटे ही काँटे, 
बिछे हुए थे वहाँ । 
पर सहर्ष , 
चलती चली गई, 
फिरंगियों का, 
मिटाने नामोनिशां।। 

खड़ग हाथ, 
हो घोड़े पे सवार, 
रण में कूदी, 
बच्चा कमर बाँध। 
लड़ती रही, 
आखिरी साँस तक, 
आजादी हेतु, 
सिर कफन बाँध ।। 

करो नमन, 
इस वीरांगना को, 
श्रद्धांजलि दो, 
उस शहादत को। 
जिसने रखी, 
नींव स्वतंत्रता की, 
बुलंद किया, 
हमारे हौसलों को।। 

जिससे ही हैं, 
हम आज आजा़द, 
ले पा रहे हैं, 
हम चैन की साँस। 
कर रहे हैं, 
सपनों को साकार, 
उड़ रहे हैं, 
खुले आसमान में, 
बेखौफ व बेबाक।। 

 ✍️
स्वाति शर्मा 
बुलंदशहर
उत्तर प्रदेश

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