इहे बंधन रक्षाबंधन कहाई
इहे बंधन रक्षाबंधन कहाई
सनेहिया के बंधन में बंधे बहिनी भाई,
इहे बंधन रक्षाबंधन कहाई।
द्रोपदी के भ्राता रहले कुंवर कन्हैया,
बनि गईले बहिनी के लाज बचईया।
ई प्रीत कईसे केहू बिसराई,
इहे बंधन रक्षाबंधन कहाई।
यमराज के राखी बंधले रही यमुना मैया,
अजर अमर के वर दिहले भैया।
प्राण हरे वाला दिहलस वरदान भाई,
इहे बंधन रक्षाबंधन कहाई।
पोरस के राखी बंधली सिकन्दर के दुलहिया,
छोड़ि द सिकन्दर के जान मोरे भैया।
जीवनदान महिमा पे के न सर झुकाई,
इहे बंधन रक्षाबंधन कहाई।
हुमायूँ न देखले जात व पात,
बंधन बन्धावे बिन आगे कइले हाथ।
प्रेमवा में कुल जइहै भुलाई,
इहे बंधन रक्षाबंधन कहाई।
सरहद पर भी राखी पावे भैया,
सोचे बहिनी सूनी होवे ना कलईयाँ।
देशवा खातिर दीपक दिहै प्राण लुटाई,
इहे बंधन रक्षाबंधन कहाई।
सनेहिया के बंधन में बंधे बहिनी भाई,
इहे बंधन रक्षाबंधन कहाई।
रचयिता
दीपक कुमार यादव
प्रा वि मासाडीह महसी
बहराइच
मोबाइल-9956521700
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