वर्षा ऋतु
वर्षा ऋतु
वर्षा ऋतु बड़ी सुहानी
सुन्दर मौसम निर्मल पानी
नाचे मोर पंख पसार
कोयल का हो मेघ मल्हार
पुष्पो पर भंवरे मंडराते
मधुरस पी कर हंसते गाते
नदियाँ सागर गाये गीत
चहुँ ओर मधुरम संगीत
बारिश के दिन लगे सुहाने
शस्य श्यामला धरती साजे
अवनि की यह प्यास बुझाए
खेतो में हरियाली छाए
चलती है शीतल सी पुरवाई,
सुन्दर सुन्दर ऋतु है आई।
मन की मस्ती राग नए हैं,
सपने मन ही मन भाए हैं।
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रचनाकार
श्रेया द्विवेदी
प्राथमिक विद्यालय देवीगंज प्रथम
कड़ा कौशांबी
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