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सुख और दुःख

सुख और दुःख


जीवन में
कुछ भी स्थाई नहीं होता
कुछ भी नहीं
सुख और दुःख भी नहीं

जैसे कि
बाढ़ जाने के बाद
फिर से पनप जाता है नया जीवन
दुल्हन
भूल जाती है पीहर नये सम्बन्धों के साथ
प्रसव का दर्द
भुला देता है खिलखिला नया जीवन
ठोड़ी सी नीम की छांव पाकर भूल जाता है पथिक
जेठ की तपती दुपहरी
लौट गया पाहुन
छोड़ जाता है अपने पीछे कुछ खट्टे - मीठे निशान
नदी अपना सब कुछ छोड़ मिल जाती है
समुद्र में

मेरे दोस्त !
कुछ स्थाई नहीं होता जीवन में...

✍️
राजीव कुमार
स. अध्यापक
पू. मा. वि. हाफ़िज़ नगर
क्षेत्र - भटहट
जनपद - गोरखपुर

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