बिटिया के नाम
बिटिया के नाम
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मेरी प्यारी बिटिया !!
जब तुम नहीं होती
तो नहीं रहते हैं
बिस्तर पर सिलवटें
फर्श पर बिखरे
खिलौने, ढेरों कागज़ों के टुकड़े
रखीं होती है
करीने से तुम्हारी कांपियां, पेंसिलें, रबर और वो सब
जो तुम्हारी स्टडी टेबल पर होनी चाहिए।
सारी की सारी चीज़ें बनी रहतीं हैं अपनी जगह
मानो थम गयी हो धरती, समय थककर सो गया हो
पर
तुम्हारे घर लौटते ही
घर जैसे
बन जाता है युद्ध का मैदान
दगने लगते हैं तोप के गोले
कहीं ड्रेस तो कहीं बैग
कहीं टिफिन बॉक्स, कहीं पानी की बोतल
जूते और मोजे तो लगते हैं जैसे हों एक-दूसरे के दुश्मन
तुम्हारा
इस तरह घर आते ही उधम मचाना
घर को सिर पर उठा लेना
अच्छा लगता है
जब मैं
अकेले में बातें करती हूं
खाली दीवारों पर टंगी तुम्हारी प्यारी तस्वीरों से....
✍️
राजीव कुमार
स. अध्यापक
पू. मा. वि. हाफ़िज़ नगर
क्षेत्र - भटहट
जनपद - गोरखपुर
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