कारगिल विजय दिवस
कारगिल विजय दिवस
एक अदम्य साहस की कहानी सुनाता हूँ मैं,
कारगिल विजय की झलक दिखलाता हूँ मैं।
दशकों से जब छद्म युद्ध से बात न बनी थी,
तब दुश्मन ने कश्मीर में कुटिल चाल चली थी।
भारत दिल्ली-लाहौर बस सेवा खोल रहा था,
उस समय पाक अमन में जहर घोल रहा था।
क्रूर दुश्मन ने जब छुपकर आघात किया था,
आपरेशन 'विजय' ने उनका विनाश किया था।
कैप्टन पांडेय, बत्रा जैसे वीर कफन बांध चले थे,
वतन की खातिर कारगिल विजय को शेर चले थे।
हर चोटी विजय कर वीरों ने तिरंगा फहराया था,
दुश्मन की छाती पर चढ़कर धूल चटाया था।
वीरों ने खून से माँ भारती का तिलक किया था,
देश की रक्षा में 527 वीरों ने बलिदान दिया था।
कारगिल की शौर्यगाथ हम सदियों तक सुनायेंगे,
वीरों के बलिदान का ऋण कभी न चुका पायेंगे।
कारगिल विजय दिवस पर करबद्ध नमन करता हूँ,
महावीरों की याद में पुष्प श्रद्धा के अर्पित करता हूँ।
✍️रचयिता
नवनीत शुक्ल
सहायक अध्यापक
प्राथमिक विद्यालय भैरवां द्वितीय
शिक्षा क्षेत्र- हसवा
जनपद- फतेहपुर
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