बाल-दिनचर्या
सूर्योदय से पूर्व उठेंगे
अंगड़ाई से खूब तनेंगे
अंगड़ाई से खूब तनेंगे
कर-दर्शन, भू-वन्दन करके
नित्य-कर्म से निवृत्त होके
नित्य-कर्म से निवृत्त होके
योग और व्यायाम करेंगे
तन-मन में आरोग्य भरेंगे
तन-मन में आरोग्य भरेंगे
मंजन से साँसें महकायें
रोज नहाकर फुर्ती लायें
रोज नहाकर फुर्ती लायें
भली-भाँति फिर बाल काढ़कर
स्वच्छ वस्त्र तन पर पहनकर
स्वच्छ वस्त्र तन पर पहनकर
प्रभु के आगे शीश नवायें
सच्चे दिल से विनय सुनायें
सच्चे दिल से विनय सुनायें
फिर थोड़ा सा भोजन करके
बस्ता अपना सज्जित करके
बस्ता अपना सज्जित करके
बड़ों के आगे शीश झुकाकर
उनका स्नेहिल आशिष पाकर
उनका स्नेहिल आशिष पाकर
विद्यालय हम जायेंगे
जीवन को महकाएँगे
जीवन को महकाएँगे
खूब पढ़ेंगे पूरे मन से
यथासमय खेलें मित्रन से
यथासमय खेलें मित्रन से
जो सीखेंगे अमल करेंगे
थोड़ा आगे रोज बढ़ेंगे
थोड़ा आगे रोज बढ़ेंगे
पुनः लौटकर घर जब आयें
सही जगह सब चीज़ सजायें
सही जगह सब चीज़ सजायें
हाथ-पैर-मुँह साफ़ करेंगे
खायेंगे, विश्राम करेंगे
खायेंगे, विश्राम करेंगे
फिर पढ़ने को बैठेंगे
दोहराएंगे समझेंगे
दोहराएंगे समझेंगे
फिर मित्रों संग खेलेंगे
अच्छी बातें बोलेंगे
अच्छी बातें बोलेंगे
मात-पिता की मदद करेंगे
उनकी लाठी हमी बनेंगे
उनकी लाठी हमी बनेंगे
और रात को खाना खाकर
टहल-टहलकर उसे पचाकर
टहल-टहलकर उसे पचाकर
फिर पढ़ने को हम तैयार
ज्ञान से हमको बेहद प्यार
ज्ञान से हमको बेहद प्यार
और अन्त में नींद से पहले
प्रभु को याद करेंगे हम
प्रभु को याद करेंगे हम
शनैः-शनैः निद्रा-गोदी में
मधु-विश्राम करेंगे हम
रचनाकार
प्रशांत अग्रवाल,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय डहिया,
विकास क्षेत्र फतेहगंज पश्चिमी,
जिला बरेली (उ.प्र.)।
प्रशांत अग्रवाल,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय डहिया,
विकास क्षेत्र फतेहगंज पश्चिमी,
जिला बरेली (उ.प्र.)।
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