लोकतंत्र का पर्व
लोकतंत्र का पर्व है आया।
नई उमंगे घर घर लाया।।
यही हमारा अधिकार
आओ मतदान करें।।
नई उमंगे घर घर लाया।।
यही हमारा अधिकार
आओ मतदान करें।।
दादा आएं दादी आएं।
बूथ पर आकर लाइन लगाएं।।
चूकें नहीं इस बार
आओ मतदान करें।।
बूथ पर आकर लाइन लगाएं।।
चूकें नहीं इस बार
आओ मतदान करें।।
आओ मिल कर्तव्य निभाएं।
लोकतंत्र मजबूत बनाएं।।
अलख जगाएं द्वार द्वार
आओ मतदान करें।।
लोकतंत्र मजबूत बनाएं।।
अलख जगाएं द्वार द्वार
आओ मतदान करें।।
रचयिता
अजीत शुक्ल, स0अ0,
प्रा0वि0 तड़ौरा,
वि0क्षे0-साण्डी,
जनपद-हरदोई।
अजीत शुक्ल, स0अ0,
प्रा0वि0 तड़ौरा,
वि0क्षे0-साण्डी,
जनपद-हरदोई।
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