मन फिर से बच्चा बनने को करता है
मन फिर से बच्चा बनने को करता है
माँ की गोद मे छुपने को करता है
वो पाटी का घिसना, सुन्दर सुन्दर लिखना
कंधे पर बस्ता डालकर, स्कूल को निकलना
वो दोस्तों से कुट्टी करना, झट से मिल्ली करना
वो उनकी चीज छुपाना, बात बात पर लड़ना
मैडम की छड़ी से फिर से डरने को मन करता है
मन फिर से .................
वो दोस्तों को चिढ़ाना, बम्बई का शीशा दिखाना
वो तितलियों के पीछे भागना,
दूर क्षितिज तक के सपने बुनना
वो बादलों में जानवरों पक्षियों की बनावट देखना
फिर भूत समझ कर डर जाना
वो जोर जोर से पढ़ना ,
कक्षा में नम्बर ज्यादा लाने की होड़ लगाना
मन फिर चन्दा मामा की कहानी सुनने को करता है
मन फिर से ,,,,,,,..
वो दोस्तो के संग खेलना ,
कुछ भेदभाव न करना
बस जीतने मे जान लगाना
वो लंगडी टांग मे दूर तक दौड़ लगाना
वो दोस्तों के साथ मस्ती करना
वो अपनी ही नेतागिरी करना
वो अपनी चीजों को मिलबांट कर खाना
मन फिर से गुड्डा गुड़ियों का ब्याह रचाने को करता है
मन फिर से.............
माँ की गोद मे छुपने को करता है
वो पाटी का घिसना, सुन्दर सुन्दर लिखना
कंधे पर बस्ता डालकर, स्कूल को निकलना
वो दोस्तों से कुट्टी करना, झट से मिल्ली करना
वो उनकी चीज छुपाना, बात बात पर लड़ना
मैडम की छड़ी से फिर से डरने को मन करता है
मन फिर से .................
वो दोस्तों को चिढ़ाना, बम्बई का शीशा दिखाना
वो तितलियों के पीछे भागना,
दूर क्षितिज तक के सपने बुनना
वो बादलों में जानवरों पक्षियों की बनावट देखना
फिर भूत समझ कर डर जाना
वो जोर जोर से पढ़ना ,
कक्षा में नम्बर ज्यादा लाने की होड़ लगाना
मन फिर चन्दा मामा की कहानी सुनने को करता है
मन फिर से ,,,,,,,..
वो दोस्तो के संग खेलना ,
कुछ भेदभाव न करना
बस जीतने मे जान लगाना
वो लंगडी टांग मे दूर तक दौड़ लगाना
वो दोस्तों के साथ मस्ती करना
वो अपनी ही नेतागिरी करना
वो अपनी चीजों को मिलबांट कर खाना
मन फिर से गुड्डा गुड़ियों का ब्याह रचाने को करता है
मन फिर से.............
रचनाकार
सारिका तिवारी, प्र0अ0,
उ0प्रा0वि0 फुलवामऊ,
वि0क्षे0 बहुआ,
जनपद फतेहपुर
सारिका तिवारी, प्र0अ0,
उ0प्रा0वि0 फुलवामऊ,
वि0क्षे0 बहुआ,
जनपद फतेहपुर
कोई टिप्पणी नहीं