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निश्छल बच्चे

बालवाटिका जिसमें महके बच्चों की फुलवारी
हँसते-गाते मासूमों की गुञ्जित हो किलकारी

कोमल-नाजुक भाव हैं इनके, शरमाते मुस्काते
और कभी हक़ जता-जताकर इतराते बतियाते

सीधी-सच्ची, मीठी-मनोहर बोली इनकी भोली
निश्छल प्रेम-भरोसा इनका भरे हमारी झोली

अगले-पिछले में न घुलते, वर्तमान में जीते
सरल हृदय की पूँजी इन पर, जिससे हम सब रीते

आओ इन बच्चों पे अपना हृदय करें न्योछावर
ये सजीव भगवद्प्रतिमाएँ, इनमें हैं नटनागर

रचनाकार
प्रशांत अग्रवाल,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय डहिया,
विकास क्षेत्र फतेहगंज पश्चिमी,
जिला बरेली (उ.प्र.)।

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