दीप
घर मंदिर मुसकाते दीप ।
मन को बहुत सुहाते दीप ।।
मन को बहुत सुहाते दीप ।।
धनी-निर्धन का भेद न करते ।
सब पर प्यार लुटाते दीप ।।
सब पर प्यार लुटाते दीप ।।
विघ्न-बाधा से कभी न डरना ।
पाठ सदा सिखलाते दीप ।।
पाठ सदा सिखलाते दीप ।।
गरमी, सरदी, बसन्त, कुहासा।
हँस-हँस कर सह जाते दीप ।।
हँस-हँस कर सह जाते दीप ।।
बिजली जाती, बढे़ अँधियारा ।
बहुत याद आते हैं दीप ।।
बहुत याद आते हैं दीप ।।
महल, कुटीर, मस्जिद, गुरुद्वारा ।
सबको मीत बनाते दीप ।।
सबको मीत बनाते दीप ।।
रचयिता
प्रमोद दीक्षित ʺमलयʺ
सह-समन्वयक - हिन्दी,
बीआरसी नरैनी , जिला - बांदा
79 ⁄ 18‚ शास्त्री नगर‚
अतर्रा – 210201‚ जिला– बाँदा‚ उत्तर प्रदेश
प्रमोद दीक्षित ʺमलयʺ
सह-समन्वयक - हिन्दी,
बीआरसी नरैनी , जिला - बांदा
79 ⁄ 18‚ शास्त्री नगर‚
अतर्रा – 210201‚ जिला– बाँदा‚ उत्तर प्रदेश
Mob. 09452085234
email : pramodmalay123@gmail.com
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