अक्षर गीतों के बन जाओ तुम
बनके सुर संगीत, अधर पर आओ तुम !
अक्षर अक्षर गीतों के बन जाओ तुम !
अक्षर अक्षर गीतों के बन जाओ तुम !
सारे गम सारी खुशियाँ दिखला दिखलाकर,
हँसे वेदना मौन संग इठला इठलाकर,
मधुर राग जीवन की ऐसी गाओ तुम !
अक्षर ----------------------------
हँसे वेदना मौन संग इठला इठलाकर,
मधुर राग जीवन की ऐसी गाओ तुम !
अक्षर ----------------------------
पहन नये परिधान बसंती रंग मिले सब,
बेला हरसिंगार सभी हैं पुष्प खिले अब,
मन उपवन को आकर जरा सजाओ तुम !
अक्षर---------------------
बेला हरसिंगार सभी हैं पुष्प खिले अब,
मन उपवन को आकर जरा सजाओ तुम !
अक्षर---------------------
गाती रात सितारों के संग मधुर रागिनी,
फैली है वसुधा से नभ तक शुभ्र चाँदनी,
इन किरणों से कुछ पल चलो नहाओ तुम !
अक्षर---------------------
फैली है वसुधा से नभ तक शुभ्र चाँदनी,
इन किरणों से कुछ पल चलो नहाओ तुम !
अक्षर---------------------
जब खोना पाना जीवन है तो कैसा डर,
पास रहो मेरे या मुझसे दूर कहीं पर,
खुशबू बन कर अन्तर्मन महकाओ तुम !
अक्षर---------------------
पास रहो मेरे या मुझसे दूर कहीं पर,
खुशबू बन कर अन्तर्मन महकाओ तुम !
अक्षर---------------------
आज नही हैं साथ उजालेे अब अपने
गहन अँधेरे लिए हृदय में बैठे सपने
आकर कुछ खुशियों के दीप जलाओ तुम !
अक्षर---------------------
गहन अँधेरे लिए हृदय में बैठे सपने
आकर कुछ खुशियों के दीप जलाओ तुम !
अक्षर---------------------
रचयिता
छाया त्रिपाठी ओझा,
सहायक अध्यापक,
बेसिक शिक्षा फतेहपुर।
छाया त्रिपाठी ओझा,
सहायक अध्यापक,
बेसिक शिक्षा फतेहपुर।
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