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मैं बात तुम्हारी करता हूँ

मैं बात तुम्हारी करता हूँ।
मैं बात हमारी करता हूँ।।

【हमारा गौरवशाली इतिहास...】

आज़ादी के दीवानों ने,
थे कितने स्वर्णिम स्वप्न गढ़े,
निजभूमि की आन बचाने को,
वे स्वतः काल की भेंट चढ़े,
सीनों पर गोली खाकर भी,
भारत माता की जय बोले,
उन मस्तानों के वारों से,
गोरों के ढीठ कदम डोले,
माता के वीर सपूतों को ,
शत नमन मैं ज्ञापित करता हूँ।
(मैं बात तुम्हारी करता हूँ।
मैं बात हमारी करता हूँ।।)
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【उत्तरोत्तर पतन...】
जहाँ जनता की इच्छा कमतर,
नेता के कुटिल इरादों से,
जहाँ बरसों-बरस बहल जाते,
बस झूठे-मीठे वादों से,
जहाँ न्याय के मन्दिर के सन्मुख,
सच्चाई घुटने टेक रही,
जहाँ भूखी-नंगी लाशों पर,
लोलुपता रोटी सेंक रही,
नरगिद्ध बने इन अगुवों को,
धिक्कार मैं प्रेषित करता हूँ।
(मैं बात तुम्हारी करता हूँ।
मैं बात हमारी करता हूँ।।)
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【पुनर्जागरण का शंखनाद】
क्यों बेच दिया है स्वाभिमान,
सत्ता के ठेकेदारों को?
क्यों नष्ट नहीं कर देते हम,
मक्कारों को; ग़द्दारों को?
भारत की आन बचानी है,
तो भ्रष्टाचार खतम कर दो,
जिस मातृभूमि ने पाला है,
आँचल उसका पावन कर दो,
जागो! मैं नवलक्रान्ति का-
आवाहन तुमसे करता हूँ।
(मैं बात तुम्हारी करता हूँ।
मैं बात हमारी करता हूँ।।)

रचयिता
सन्त कुमार दीक्षित,
प्रधानाध्यापक,
उत्कृष्ट मॉडल प्राथमिक विद्यालय - रनियाँ द्वितीय,
विकास खण्ड - सरवनखेड़ा,
जनपद - कानपुर देहात
मोबाइल नम्बर- 7905691970

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