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ग़ज़ल

ग़ज़ल

बात नहीं करने से, क्या हो जाएगा
उल्फ़त कम, ख़त्म ये झगड़ा हो जाएगा

जब तुझ को मुझ में से घटाया जाएगा
तब सच में मेरा घाटा हो जाएगा

तेरे बारे में किसी से कुछ ना पूछूँ 
मेरे साथ सुनो! ज़्यादा हो जाएगा

कुछ हैं जो ठोकर देने से बचते हैं
डरते हैं, शख़्स वो उम्दा हो जाएगा

ख़ामोशी से करते हैं इज़्ज़त वाले 
आवाज़ से जुर्म तमाशा हो जाएगा

लगता है पूरा मुल्क़ मुहब्बत के नहीं
मज़हब के असर में आधा हो जाएगा

ऐब बहुत हैं लेकिन पैसे वाला है
वो सबकी नज़र में अच्छा हो जाएगा

मरने की जो जितनी कोशिश करता है
ज़ह्र उसे उतना महँगा हो जाएगा

इस दौर में भी, इतना इरादा पुख़्ता है  
जो भी मैं बोलूँ, वादा हो जाएगा

✍️
तान्या सिंह (स.अ.)
प्राथमिक विद्यालय तेनुअन
पिपरौली-गोरखपुर
उत्तर- प्रदेश

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