तुमने झूठ कहा था न !!
तुमने झूठ कहा था न !!
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तुमने कहा था
कि मौसम बदल जायेंगे
पर
हम नहीं बदलेंगे...
ये
पतझड़ का मौसम
नहीं है
पर
उदासी है
कि जाती ही नहीं
बिखरी हुई हैं वहीं गुलमोहर
के तले
तुम्हारी
गैरमौजूदगी में बेजान सा पड़ा है
गुलमोहर
कल एक आखरी पत्ता जो बचा रह गया था
संभाल घर ले आया
तुम्हे पूरी तरह खो देने के डर से
इस बार
जरूर लिखूंगा तुम्हें
कई बार
सोंचा और लिख कर फाड़ दिया
शायद कि
बदल जाय मौसम उदासी का..
✍️
राजीव कुमार
स. अध्यापक
पू. मा. वि. हाफ़िज़ नगर
क्षेत्र - भटहट
जनपद - गोरखपुर
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