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गुरुवर

*गुरुवर*

मन है आज मेरा बहुत हर्षित पुलकित,
गुरु के चरणों में है पुष्प श्रद्धा के अर्पित।

शिक्षक दिवस है पर्व पावन सुनहरा,
गुरु-शिष्य का रिश्ता है सबसे गहरा।

आपसे ही महकता है यह सारा संसार,
गुरुवर आप ही हैं इस सृष्टि के आधार।

हे प्रिय ! गुरुवर आपके उपदेश और वचन,
करते हैं सारे जग और संसार को चमन।

आपकी महत्ता का मैं क्या बखान करूँ ?,
आपके गौरव का कैसे मैं गुणगान करूँ? 

माता-पिता से पहले आपका स्थान आता है,
आपके आगे ईश्वर भी नतमस्तक हो जाता है।

डरती है मेरी कलम आपके लिये लिखने में,
की कोई भूल न हो जाये शब्दों को गढ़ने में।

हे गुरुवर ! नवनीत करता है बार-बार वंदन,
आपके चरण स्पर्श से मैं हो जाता हूँ सम चंदन।

रचयिता
नवनीत शुक्ल(शिक्षक)
जनपद- फतेहपुर(उ०प्र०)
मो०न०-9451231908

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