उठो धरा के वीर जवानों
उठो धरा के वीर जवानों
उठो धरा के वीर जवानों
धरती मां का श्रृंगार करो,,,।
यह मिट्टी तुम्हें पुकार रही है..
ममता भरी आंखों से
राह तुम्हारा निहार रही है ।
उठो पुनः नवयुग का
नूतन तुम निर्माण करो।
धरती मां की उज्जवल काया का
फिर ,,नवनिर्मित श्रृंगार करो ।
गुंजित हो जाए जग सारा
ऐसी मंगल ध्वनि का आह्वान करो
उठो धरा के वीर जवानों
धरती मां का श्रृंगार करो ।
कायरता का चादर ओढ़े
कुछ दुर्जन मन पड़े धरा पर
उन कलुष मन को चीर कर
तटिनी में प्रवाह करो ।
नमन हृदय से भावपूर्ण
उन वीरों का है अभिनंदन,,
प्राण गवा कर रणभूमि में
सीचा लहू से वतन का चमन ।
उन वीरों को अश्रुपूर्ण नयन से
कर लो शत बार नमन ,,।
उठो धरा के वीर जवानों
धरती मां का श्रृंगार करो ।
जागो बीत ना जाए ये
प्रभावपूर्ण सुखद रजनी ।
तुम को दूर करना हर मन से
अंधकार भरी रजनी ।
सत्यता के पथ पर
अविरल गति से बढ़ते जाओ
कर्म से आंखें चमक उठे
सबका स्नेहिल आशीष पाओ ।
प्रण कर लो तुम रणभूमि मे
भेदभाव को त्यागोगे ।
हर भारतवासी को तन से,,मन से
सगा अनुज तुम मानोगे ।
यही प्रतिपल त्याग तुम्हारा
धरती मां मांग रही ।
उठ जाओ अब भ्रमित स्वप्न से
मां भारती तुम को पुकार रही ।
आन मान और बान में मां के
जीवन अपना बलिदान करो,,,।
उठो धरा के वीर जवानों
धरती मां का श्रृंगार करो .....।
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दीप्ति राय (दीपांजलि )स0अ0
प्राथमिक विद्यालय रायगंज
खोराबार गोरखपुर
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