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अगर इजाजत हो

फिर नये ख्वाब सजा दूँ अगर इजाजत हो
तुम्हीं को तुमसे मिला दूँ अगर इजाजत हो
हम ठहर जायें अगर वक्त ठहरता ही नही
कश्मकश दिल की मिटा दूँ अगर इजाजत हो
बात ऐसी भी क्या कि झिझकती है नज़र
हया की चिलमन उठा दूँ अगर इजाजत हो
थाम कर दिल अपना कब तलक रहियेगा
अब इसे अपना बना लूँ अगर इजाजत हो
रुको सितारों जरा रात अभी तो ठहरी है
प्यार की रस्म निभा दूँ अगर इजाजत हो
---- निरुपमा मिश्रा "नीरु "

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