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आज नेता वही...

काम खोटे करे खाल मोटी रहे,
आप ये जान लो आज नेता वही।
जीम चारा सके, ले पचा कोयला,
ख़ून भी पी सके आज नेता वही।
बात में चाशनी, झूठ की रागिनी,
गा सके जो सदा आज नेता वही।
लालची जो महा पाप भारी लिये,
ज्यों धरा-बोझ हो आज नेता वही।
रचना- निर्दोष दीक्षित
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काव्य विधा- गंगोदक सवैया छंद
शिल्प- चार चरण का छंद
          प्रत्येक चरण में 8 रगण
          (212)8, 4-4 रगण पर यति।

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