देश का गौरव हिन्दी
मैं भारत मां की बेटी हूँ,
मेरी पहचान है हिन्दी।
मेरी हर सांस में हिन्दी,
मेरे एहसास में हिन्दी।
मेरी पहचान है हिन्दी।
मेरी हर सांस में हिन्दी,
मेरे एहसास में हिन्दी।
वर्षा की फुहारों से,
प्रफुल्लित है चमन सारा।
है माटी की महक हिन्दी,
हैं चिड़ियों की चहक हिन्दी।
प्रफुल्लित है चमन सारा।
है माटी की महक हिन्दी,
हैं चिड़ियों की चहक हिन्दी।
इस ब्रह्माण्ड में दूजी,
न संस्कृति और भारत सी।
सर्वे भवन्तु सुखिन: का ,
देती ज्ञान है हिन्दी।
न संस्कृति और भारत सी।
सर्वे भवन्तु सुखिन: का ,
देती ज्ञान है हिन्दी।
राम और कृष्णा की ,
पावन ,भूमि है भारत।
कबीरा और मीरा के,
भजन का गान है हिन्दी।
पावन ,भूमि है भारत।
कबीरा और मीरा के,
भजन का गान है हिन्दी।
भारत मां के गौरव को,
शत्रु ने ,जब भी ललकारा।
वीरों की कटारों से निकली,
लहू की धार है हिन्दी।
शत्रु ने ,जब भी ललकारा।
वीरों की कटारों से निकली,
लहू की धार है हिन्दी।
जो ममता की सुखद छाया,
लाड़ और प्यार है देती,
देश की शान है हिन्दी,
मेरा स्वाभिमान है हिन्दी।
लाड़ और प्यार है देती,
देश की शान है हिन्दी,
मेरा स्वाभिमान है हिन्दी।
मैं भारत मां की बेटी हूं,
मेरी पहचान है हिन्दी।
मेरी हर सांस में हिन्दी,
मेरे एहसास में हिन्दी।
मेरी पहचान है हिन्दी।
मेरी हर सांस में हिन्दी,
मेरे एहसास में हिन्दी।
रचयिता
विजया अवस्थी,
इंचार्ज अध्यापक,
कन्या जूनियर हाई स्कूल मंसूरनगर,
पिहानी, हरदोई।
विजया अवस्थी,
इंचार्ज अध्यापक,
कन्या जूनियर हाई स्कूल मंसूरनगर,
पिहानी, हरदोई।
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