प्रेम की सीख
एक थी चिड़िया एक गिलहरी,
दोनों बनीं सहेली बड़ी गहरी।।
दोनों बनीं सहेली बड़ी गहरी।।
चीं-चीं करके चिड़िया आती,
टीं - टीं करके गिलहरी आती।
बातें दिन भर करती रहतीं,
मिल-जुलकर वो खेला करतीं।।
टीं - टीं करके गिलहरी आती।
बातें दिन भर करती रहतीं,
मिल-जुलकर वो खेला करतीं।।
चिड़िया पंखों को फैलाती,
आसमान की सैर लगाती।
गिलहरी भी दौड़ लगाती,
कभी पेड़ पर झट चढ़ जाती।।
आसमान की सैर लगाती।
गिलहरी भी दौड़ लगाती,
कभी पेड़ पर झट चढ़ जाती।।
इधर फुदकती उधर है जाती,
खुशियां ही खुशियां बरसाती।
दाना - भोजन लेकर आतीं,
आपस में मिल जुलकर खातीं।।
खुशियां ही खुशियां बरसाती।
दाना - भोजन लेकर आतीं,
आपस में मिल जुलकर खातीं।।
इन दोनों की बात निराली,
देखो कितनी हैं मतवाली।
प्यार से रहना इनसे सीखें,
मेहनत करना इनसे सीखें।।
देखो कितनी हैं मतवाली।
प्यार से रहना इनसे सीखें,
मेहनत करना इनसे सीखें।।
एक थी चिड़िया एक गिलहरी।
दोनों बनीं सहेली बड़ी गहरी।।
दोनों बनीं सहेली बड़ी गहरी।।
रचयिता
विजया अवस्थी,
इंचार्ज अध्यापक,
कन्या जूनियर हाई स्कूल मंसूरनगर,
पिहानी, हरदोई।
विजया अवस्थी,
इंचार्ज अध्यापक,
कन्या जूनियर हाई स्कूल मंसूरनगर,
पिहानी, हरदोई।
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