आशा
आशा का संचार करें हम,
जीवन के हर एक पल में।
कहीं फंस कर ना रह जाएँ,
भौतिकता की दलदल में।
कुछ कर्म ऐसा भी कर लें,
नाम हमारा रह जाए।
ईश्वर ने जो प्राण दिया है,
मान उसी का रह जाए।
अनुसरण कर सत्य पथ का,
महापुरुषों ने जो दिखलाया।
विपदाओं के तूफानों में,
मन नहीं ये घबराया।
हिम्मत का सृजन कर लें,
संकटों के हर एक क्षण में।
कहीं फंस कर ना रह जाएँ,
भौतिकता की दलदल में।
रसना अपनी परनिंदा से,
कोसों हमेशा दूर रहे।
निर्णय ले सकें अपने मन से,
नही किसी से मजबूर रहें।
रजनी बीते प्रातः आये,
नवल आशा का संचार करें।
जीवन चाहें छोटा हो ,
पर नाम अमर ये कर जाए।
संकल्पों का सूर्य अपना,
प्रभा बिखेरे हर एक कण में।
कहीं फंस कर ना रह जाएँ,
भौतिकता की दलदल में।
रचनाकार
अर्चना रानी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मुरीदापुर,
शाहाबाद, हरदोई।
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