रौशनी का पैगाम
रौशनी से हर एक कोना घर का मुस्कुरा रहा है,
दीप जल रहे हैं, ये जहां भी है महका रहा है।
खुशियाँ लहराए संग हवा में दियों का उजाला,
हर धड़कन में एक नया अरमान सा बसा रहा है।
अंधेरों से डरना छोड़े अब ये ज़माना सारा,
प्रेम की लौ से हर दिल को फिर से सजा रहा है।
तेरे मन की हर तन्हाई अब रोशनी में घुल जाए,
दीप जलाकर हर शख़्स ये चाहत जता रहा है।
मिट्टी के ये दीप भी मानो नया हौसला बनें,
हर दीया तुझको नयी उम्मीद सिखा रहा है।
'प्रवीण' की ये ख़्वाहिश, हर घर चिरागां हो जाए,
दीपों की जगमग से ये जहां जगमगा रहा है।
दीपों का ये त्यौहार आपके जीवन में नई उमंग और आशा लेकर आए। हर 🪔 आपके सपनों को नई रौशनी दे और आपके घर-आंगन को सुख-समृद्धि से भर दे। इस दीपावली पर आपके जीवन में उजाला, खुशियाँ और अपार प्रेम बरसे।
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✍️ शायर : प्रवीण त्रिवेदी "दुनाली फतेहपुरी"
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर, आजकल बात कहने के लिए कविता उनका नया हथियार बना हुआ है।
परिचय
बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।
शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।
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