स्वर्णिम प्रकाश पुँज
स्वर्णिम प्रकाश पुँज
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दीप की लड़ियाँ सुशोभित, हैं धरा को कर रहीं,
प्रकाश पुँज को कर प्रज्वलित हैं मन के तम को हर रहीं।
दीप ऐसा है जला वसुधा का है अंतः स्थल खिला,
कुल खानदान परिवार समाज को, रोशन को प्रेरित कर रहीं।
सुख, समृद्धि मिले, यश, सफलता,मान और सम्मान हो,
खुश रहें, खुश किस्मत रहें, स्वस्थ और खुशहाल हों।
हो आगमन माँ अरु लक्ष्मी गणपति के चरण कमल का,
सुख सम्पदा बुद्धि विवेक से पूर्ण घर परिवार हों।।
दीप की लड़ियाँ सुशोभित, हैं धरा को कर रहीं,
शुभ स्वर्णिम नव प्रभात की किरण रश्मियाँ बिखर रहीं
प्रकाश पुँज को कर प्रज्ज्वलित, मन के तम को हर रहा,
दीप ऐसा जला है, हर नगर, हर गाँव, घर में
रोशनी के नेहों से, वसुधा का अंतस खिल रहा।
आप सभी को श्री गणेश जी महालक्ष्मी जी पूजन और दीपावली की के पावन पर्व पर मंगलमय शुभकामनाएं और बधाइयां।🙏💐🍨💥🏮
✍️
ममताप्रीति श्रीवास्तव
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
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