नवरात्रि के नवरूप
नवरात्रि के नवरूप
नवरात्रि में नवरूप धारकर
भक्तों का कल्याण करती हो मां
प्रथम रूप शैलपुत्री का करके धारण
भक्तों की पूजा स्वीकारती हो मां
लेकर दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी का
दुखहारिणी बन जाती हो मां
तृतीय रूप में बनकर चंद्रघंटा
तुम दुष्टों का दमन करती हो मां
अवतरित हो कूष्माण्डा के चतुर्थ रूप में
सबमें नवोल्लास का संचार करती हो मां
स्कंदमाता के पंचम रूप में कार्तिकेय संग
होकर विराजित पूजी जाती हो मां
जग में कात्यायन ऋषि की पुत्री षष्ठम रूपा
कात्यायनी नाम से जानी जाती हो मां
रूप तेरा सातवां है कालरात्रि का अंबे
दुष्ट जनों की संहारक कहलाती हो मां
कुंदन सी आभा लिए रूप अष्टम महागौरी
सौम्य रूपिणी संसार में पूजी जाती हो मां
सुख समृद्धि मोक्षदायिनी हे सिद्धिदात्री
नवों रूप में "अनु"को बहुत भाती हो मां
✍️
अनामिका शर्मा "अनु"
प्रधानाध्यापिका पूर्व माध्यमिक विद्यालय लखनापार क्षेत्र-पाली, गोरखपुर।
कोई टिप्पणी नहीं