बेटियाँ
बेटियाँ..
जीवन में
केवल रिश्ते भर का
नाम नहीं हैं बेटियाँ..
केवल सन्तानोत्पत्ति की
कोई औपचारिकता
भी नहीं हैं बेटियाँ..
भारतीयता के
संस्कार और संस्कृति की
जीवन्त संवाहिका हैं बेटियाँ..
ओछी होती हुई सोच को
गिरते हुए मूल्य को
आज रोकना होगा...
भ्रूण हत्या के अभिशाप से
हमें उबरना होगा
तभी बचेगी हमारी बेटियाँ...
बेटियाँ रहेंगी तो ही
यह सृष्टि भी रहेगी
और मनुष्य भी...
मानव को आज
उस भेद को तजना होगा
बेटी भी बराबर हैं सोचना होगा
दहेज के लोभियों को
चेतना होगा
बराबर का हक देना होगा
इस धरा की शान हैं बेटियाँ..
हर प्रगति का
एक नाम हैं बेटियाँ...
एक तेज पुंज
एक ज्वालामुखी
धैर्य का पर्याय है ये बेटियाँ...
हर क्षेत्र में आज
सफलता का कीर्तिमान
स्थापित की हैं ये बेटियाँ...
रण कौशल में भी
रणबाँकुरों को अब
पछाड़ चुकी हैं ये बेटियाँ..
कभी मीरा तो कभी महादेवी
कभी फुले तो कभी लक्ष्मीबाई
किरण से कल्पना हैं ये बेटियाँ..
विश्व भी अब मान चुका
इनकी ताकत पहचान चुका
हर घर की शान हैं ये बेटियाँ..
शिक्षित हो पथ दिखलाने वाली
समाज को भी आइना दिखाने वाली
मन में कोमल भाव लिए हैं ये बेटियाँ..
✍️
रवीन्द्र नाथ यादव(प्र. प्र. अ.)
प्राथमिक विद्यालय कोडार उर्फ़ बघोर नवीन,
विकास क्षेत्र-गोला,
जनपद-गोरखपुर।
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