नमन तुम्हे है!
नमन तुम्हे है!
जो है कुम्हार,
दे सुंदर आकार,
करके सुधार,
तन - मन - व्यवहार,
आचार - विचार,
दे हर गुण निखार।
नमन तुम्हे है! कर्मकार!
जो है सुनार,
गुण को दे आकर,
कर दे श्रृंगार,
बाँध के तार - तार,
दे कर्मभूमि में उतार।
नमन तुम्हे है! विश्वसार!
जो है किसान,
निकाल खर-पतवार,
ढूंढ़ बीज प्रधान,
सींच प्रेम-थाप,
दे विद्या का दान,
कर हमें महान।
नमन तुम्हे है! कर्म प्रधान!
जो है मात-पिता,
हर शंका मिटा,
दे रास्ता दिखा,
करके तैयार,
जीवन-रण में दे उतार ।
नमन तुम्हे है! ब्रह्मसार!
✍️
शेषनाथ यादव
सहायक अध्यापक
उ0 प्रा0 विद्यालय सेमरा
जंगल कौड़िया-गोरखपुर
शानदार रचना
जवाब देंहटाएंअतुलनीय रचना
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