शिक्षक हैं राष्ट्र निर्माता
।। शिक्षक हैं राष्ट्र निर्माता ।।
श्रेष्ठ मानव बनाने को आतुर
देश धर्म संस्कृति का दर्शन कराता
मानवता का संदेश देकर,
ईश्वर स्वरूप बन जाता
भेद - भाव से परे होकर,
अच्छे बुरे का ज्ञान कराता।
शिक्षक है राष्ट्र निर्माता।।
क्या उचित, सही, सम्मानजनक का मंत्र देकर,
मात - पिता की सेवा के लिए भाव जगाकर,
रग - रग में संस्कार जगाता।
शिक्षक हैं राष्ट्र निर्माता।।
संयम, सदाचार, विवेक, सहनशीलता का पाठ पढ़ाकर।
समय का सदुपयोग सिखाता,
यहसास, गर्व, ख़ुशी की अनुभूति बताकर..
परोपकार भाई चारा का ज्ञान कराता,
तब पथ प्रदर्शक बन जाता।
शिक्षक हैं राष्ट्र निर्माता।।
आत्मविश्वास की प्रेरणा देकर,
आगे बढ़ने का भाव जगाता।
फूल से नौनिहालों को,
माली बनकर ख़ूब संवारता।
कुम्हार के घड़े जस कोमल
तन - मन को,
सचिन, कल्पना, कलाम बनाता।
शिक्षक हैं राष्ट्र निर्माता।।
जलते हुए दीपक जैसा खुद जलकर,
जीवन के उनको काबिल बनाता।
कभी उनकी गलती का यहसास कराता,
कभी उनके सराहनीय कार्यों को जग में सम्मान दिलाता।
शिक्षक हैं राष्ट्र निर्माता।।
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रवीन्द्र नाथ यादव (प्र.प्र.अ.)
कोड़ार उर्फ बघोर ( नवीन),
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