चानू की प्रभा
चानू की प्रभा
चाहें मैथिली हो,
या हो फिर मलाला।
माता-पिता हो साथ,
तो चानू हो हर बाला।।
सत्यार्थ प्रकाश उसने पढ़ा था,
कष्टों में भी जीवन आगे बढ़ा था|
हार न मानने की ठानी थी,
पल-पल स्वयं को गढ़ा था ||
ओलंपिक के पहले ही दिन,
चानू ने देश को पदक दिया।
वर्षो का कड़ा परिश्रम था,
बचपन के सपने ने रूप लिया।।
चान्- चानू चहुँ ओर हो रहा है,
मणिपुर भी जश्न मना रहा है।
हर मन गर्वित हो रहा है,
सुरभित पूरा देश हो रहा है।।
साइखोम मीराबाई चानू,
पूरा नाम है चानू का |
कौन बनेगा करोड़पति में,
अब पूछा जाएगा नाम चानू का ||
नारियाँ होती घर की शोभा,
देश को भी दें वे निज आभा।
वीर-विद्वान पुरुष की वो जननी
हर सभा को मिलती उनसे प्रभा।।
✍️
*प्रतिभा भारद्वाज (स०अ०)*
*पू०मा०वि०वीरपुर छबीलगढ़ी*
*जवाँ,अलीगढ़*
कोई टिप्पणी नहीं