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ओ मतवाले देशवासियों

ओ मतवाले देशवासियों

ओ मतवाले देशवासियों ,,,
स्वतंत्रता का मतलब तुमने
 क्या जाना ,,क्या समझा है ।
क्या भारत की स्वतंत्रता को
 निज स्वतंत्रता ही माना है ।
देखो सोचो,,,,
कितने वीरों ने ,,घर छोड़ा 
निर्भय हो ,,मृत्यु का वरण किया। जिनकी लाशों की चादर पर,,,,, भारत अपना आजाद हुआ।
 उनके वंदन अभिनंदन में,,
 नील नभ विस्तृत आंगन में ,,
फिर तिरंगा फहराने 
का दिन आया है ।
स्मरण रहे ,,,हे देशवासियों
 कुर्बानी उन वीरों की ,,।
अंत समय तक सौगंध उठाई 
भारत मां को मुक्त कराने की,, ।
ओ मतवाले देशवासियों,,,,
 तुमको भी लड़ना होगा ।
ऊंच-नीच सब तजना होगा।
 भारत मां की अखंडता को
 सिर आंखों पर रखना होगा ।
जो गद्दार पड़े धरा पर ,,
उनको दंडित करना होगा ।
भारत मां के ,,,
निर्मल कोमल स्वरूप का
 ध्यान जन-जन को रखना होगा। पड़े देश पर कुदृष्टि दुश्मन की,,,,, उनको पराजित करना होगा ।
ओ मतवाले देशवासियों ,,,
आओ ये सौगंध उठाओ 
किसी मुल्क में किसी देश में,,, अपमान अपने वतन का ,,,
अब कभी ना सहना होगा ,,।
झुकने नहीं दोगे अपने वतन को,,, आज यह प्रण सहकार रूप में,,, फिर से करना होगा,, ।
इस पावन पर्व का सम्मान ,,,
हमें युगों युगों तक करना होगा ।।

✍️
दीप्ति राय (दीपांजलि)
 सहायक अध्यापक 
प्राथमिक विद्यालय रायगंज खोराबार गोरखपुर

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