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नव वर्ष


      दिल से
तार झंकृत कर गया ,
आगाज है नव वर्ष का।
रवि की नवल रश्मियों से,
है छाया आभामण्डल नया।
उल्लास नव,नव हर्ष मन प्रफुल्लित,
आगाज है नव वर्ष का।
किसलय कलियों पर
तबस्सुम,
निखरा प्रकृति का रूप नया।
स्नेहिल सुमन अंजुरी में भर के,
अधरों पर मुस्कान ले।
रवि की नवल किरणों को लख के,
ममता का आँचल हूँ फैलाती।
समेत लेती हु मैं खुद में मेरे नयनो की बाती,(अंशु राखी)
कोमल,कोपल ,सरस निश्छल।
आगाज है नव वर्ष का।
प्रीति का प्रेम बहे अविरल,
निहारु नव रूप प्रतिपल।
करती सहर्ष पलक पावणे बिछा ,
आगाज है नव वर्ष का।।।

✍️
ममता  प्रीति श्रीवास्तव
शिक्षिका
गोरखपुर
 

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