सपना -ए -हिंदुस्तान
सपना -ए -हिंदुस्तान
कुछ तारे टूटे हैं
जो फलक पर,
रूह से हासिल करेंगे,
टूटे सपनों को गूथेंगें ।।
हसरतें जो बिखरी
पड़ी है,
स्वर्णिम मोतियों की
माला बनाकर,
हे मां भारती,
तुझको अर्पण करेंगे।।
वक्त कितना भी दुर्दिन रहा ,
समय चक्र हम
फिर बदलेंगे।।
आशातीत
घनघोर
अंधेरों से हम
दीप नया जलाएंगे।।
राखकर शत्रुओं का मनोबल,
विजय पताका फहरायेंगे।।
आशा निराशा
के भॅवर से,
निकाल कर
ए-जमीन -ए- हिंदुस्तान
तेरे घावों पर
मरहम हम लगाएंगे।।
सरहद से आती
ये सदा,
शहीदों की इस
धरा पर,
पावन वसुंधरा पर,
आशा रूपी पुष्प
हम खिलाएंगे।।
✍️
जितेंद्र यादव
एआरपी जसवंतनगर
इटावा
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