शिक्षण की अट्ठारह तकनीकी
साहित्य ज्ञान के संग्रह और प्रसार का सशक्त माध्यम है। गद्य की तुलना में कविता इसे सरल, सहज और रोचक बनाती है। ज्ञान की गूढ़ वीथियाँ भी कविता का स्पर्श पाकर सुगम, सुग्राही और मानस पटल पर अमिट छाप छोड़तीं हैं और यही कविता की शक्ति है और आत्मा भी ।आशा है कि ध्यानाकर्षण माॅड्यूल में वर्णित अट्ठारह शिक्षण तकनीकों को क्रमबद्ध रूप से कविता में समाहित करने का यह लघु प्रयास आपको पसंद आएगा ।
शिक्षण की अट्ठारह तकनीकी
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गूढ़ ज्ञान शिक्षण का पाऊँ,
अट्ठारह तकनीकी अपनाऊँ,
मैं पहले कक्षा कक्ष सजाऊँ,
बैठक की फिर युक्ति लगाऊँ।
पूर्व ज्ञान से जोड़ पाठ को ,
रोचक फिर शुरूआत करूँ,
टी एल एम का कर प्रयोग ,
फिर नवाचारों का योग करूँ ।
प्रश्न पूछकर-- उत्तर पाऊँ ,
सीखने को मैं बात बनाऊँ,
कार्य पत्रक देकर उनको ,
सबको शामिल करता जाऊँ।
समूह बनाकर दे दूँ काम ,
जोड़ी में अच्छे परिणाम,
कंचे, पत्थर और गिट्टियाँ ,
सीखने के आते सब काम।
अभ्यास के अवसर देते जाएँ ,
अर्जित ज्ञान को पुनः दोहराएँ ,
सकारात्मक फीडबैक हो तो,
शैक्षिक भ्रमण पर ले जाएँ ।
सरल से कठिन सूत्र एक है,
प्रोजेक्ट में सबको लगाएँ ,
यूँ सीखी शिक्षण तकनीकी,
मुझे कविता लागे निक्की ।
✍️
प्रदीप तेवतिया एआरपी हिन्दी
विकास खण्ड सिम्भावली
जनपद- हापुड़
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