अन्नदाता की पुकार
अन्नदाता की पुकार
सड़कों पर है आज किसान
मचा हुआ है घमासान
पूंजीपतियों के चंगुल से
छुड़ाओं..
करना जो भी,
हो जतन तमाम।
बूढ़े - बच्चो की चीत्कार
सुनो - सुनो जी सरकार
अन्नदाता की पुकार।।
सूखा - बाढ़ सभी सह जाता
प्रकृति की वह गोद में पलता,
विषम परिस्थितियों में मुस्काता
भारत की आत्मा गांवों में बसती।
सुनो - सुनो जी सरकार
अन्नदाता की पुकार।।
सूरज उगने से पहले जगता
खुद तो भूखा सो जाता,
पर सबका पेट वह भरता
कंधों पर जिसके टीका हुआ है
देश की अर्थव्यवस्था का आधार।
सुनो - सुनो जी सरकार
अन्नदाता की पुकार।।
हडि्डयों को गलाकर
तोड़ता भी है पहाड़
धरती से सोना उगाता
खून पसीना बहाकर
मानो या ना मानो,
देश का बच्चा - बच्चा है कर्जदार।
सुनो - सुनो जी सरकार
अन्नदाता की पुकार।।
जीवन करुणा का सागर
धरती मां का सच्चा सपूत
सादा जीवन उच्च विचार,
समय बड़ा है बलवान
दो धुरी पर टिका जहान
जय जवान जय किसान
मेरा भारत है महान।
सुनो - सुनो जी सरकार
अन्नदाता की पुकार।।
✍️
रवीन्द्र नाथ यादव (स. अ.)
प्राथमिक विद्यालय कोडार उर्फ बघोर (नवीन)
क्षेत्र - गोला, गोरखपुर
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