नया साल
नया साल
आया है नया साल नयी ताजगी के साथ।
आओ कि मिल जाये नयी आवारगी के साथ।
दिल लेके शेष कहते है किसी काम का नही,
ऐसा ही हो जाये तेरी भी जिन्दगी के साथ।
ये चमन ये गुलाब,ये शबाब-ए-हशरतें,
अच्छा नही लगता तेरी नाराज़गी के साथ।
हम आदमी है गल्तियां होती ही रहेगी,
बस तूँ भी सुर मिलादे मेरी बंदगी के साथ।
हमने गुनाह तेरे भी कबूल कर लिये,
तूँ अब भी जी रहा है उसी गन्दगी के साथ।
उगते हुये सूरज से प्रीति रीति है जग की,
इक दीप जला लेते अकलमंदगी के साथ।
नव वर्ष मंगलमय हो।
✍️
शेषमणि शर्मा
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