यह नव वर्ष नया हो जाए
यह नव वर्ष नया हो जाए🌞
आस जगी है नए वर्ष की ,...
उम्मीदें हैं नई नई ...
जो बीता है साल उसमें
खुशियों की थोड़ी कमी रही ।
विदा हो रहा साल यह
जिसने सबसे ,,,,खेलीआंख मिचौली थी ।
व्यथा.. घुटन ..अपनों से दूरी
घुट घुट पिया सबने ।
जैसे तैसे गुजरा हर दिन
जाने छूट गए ,,,,,,कितने अपने
चार दीवारों में सिकुड़े ,,,सहमे
बैठे रहे महीने !
अब वो कुछ न ये आंखें देखें
जो देख मन,,, रोता रहा महीने
भूल पिछले वर्ष की
अनगिनत व्यथाएं
हर मन यह चाह लिए है ,,,,,
अब यह नव वर्ष नया हो जाए । बीता वर्ष कभी ना आए ।
मंजर ना लौटे ....फिर वह
जिस में इतना विष था
बड़ा भयानक दुख भरा
वर्ष .....बीस ....था !
अभिनंदन सहर्ष तुम्हारा
नव वर्ष मंगल करना
कभी ना विगत वर्ष फिर लौटे यही कामना करना
हां यह वर्ष नया हो जाए
नई सूर्य की किरणों से
दीप्त नव नवल धरा हो जाए
गगन में विस्तृत ,नई उमंगों का झोंका बहता जाए ।
अब साकार हो सब,,,,
टूटी कल्पनाएं।
भवरो की टोली , सुगंधित पुष्प,
अंबिया बौरो पर
कोकिल स्वर सुनाएं ।
बिना किसी भिती के
सब ,,,,,सबसे मिलने जाए ।
जो खोया था विस्मृत कर
घर आंगन में मधुर सुमन मुस्काए यह नव वर्ष नया हो जाए
विघ्न बाधाएं सब खत्म हुई अब पग पग बढ़ते जाएं ।
खुली हवा और जेहन में
जो धुंध धुंए सी थी,,,,
कोहरे सी वो हट जाएं ।
शांति सुधा अब बहे विश्व में
सुरभित सुख सब अनुभूत करें।
यह भी स्मरण ,,,करना हमको
बीते वर्षो ने कुछ तो सिखाया पैसों और अपनों की कीमत
जन जन को समझाया ।
नव वर्ष में अब कोई ऐसा
दुख दर्द न अभिसिंचित हो।
आभास मिली यंत्रणा भरी
वो आभासित रजनी
फिर न विकसित हो ।
नव-शिशु ...नव -कोमल कली सा अब अनुपम वर्ष मुसकाए ।
सत्यम ,शिवम ,सुंदरम से
अपनी ,,,धरा
फिर से सज जाए ।
ये वर्ष अब नया हो जाए ।
स्वर्णिम सा चमकता हुआ
नव पल्लवित पुष्पित हो सबको महकाएं ।
अब यह नव वर्ष नया हो जाए ।।
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दीप्ति राय (दीपांजलि )
सहायक अध्यापक
प्राथमिक विद्यालय रायगंज, खोराबार, गोरखपुर
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