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करके कर से दिखलायें

करके कर से दिखलायें

करके कर से दिखलायें,
भीतर नव गुंजित गान रहे ।
स्वदेश के स्वप्नों को पूर्ण करें ।
राष्ट्रगौरव का अभिमान रहे ॥
   एकमात्र इस पुण्य भूमि पर ।
   सबको है स्वाधीनता यहाँ पर ।
   जन गण मन से यह गणतंत्र ।
   कभी न होने देंगे अब परतंत्र ॥
अमर शहीदों की जीवनगाथा ।
सब लोगों तक हम पहुंचायेंगे ।
पवित्र भूमि भारत माता को ।
पुनः शीर्ष पर हम ले जायेंगे ॥
    विश्वास करें अपनी मिट्टी पर,
    जहाँ हम सबको जन्म मिला ।
     इसकी शान नहीं मिटने देंगे ,
     रोटी, कपड़ा व मकान दिया ॥
काश्मीर से लेकर कन्याकुमारी ,
गंगा, यमुना, कृष्णा व कावेरी ।
द्वारिका से लेकर जगन्नाथपुरी ,
पूर्वोत्तर की छवि लगती न्यारी ॥
    प्राणों से प्यारा अपना वतन,
     इस पर बलि हो जायें हम ।
     अरुणोदय की पुण्य धरा पर,
     सर्वदा स्वयं शीश झुकायें हम ॥
जय हिन्द...... जय भारत ।
          
✍️
रवीन्द्र शर्मा
ग्राम- बेलवां - बुजुर्ग, पो० - जद्दू पिपरा
जनपद - महराजगंज, उ०प्र० 

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