रघुवर नेह तुम्हारा चाहूँ
रघुवर नेह तुम्हारा चाहूँ!
प्रभुवर नेह तुम्हारा चाहूँ!!
झूठे सब नाते बिसराकर
एक तुम्हीं संग प्रीत निभाऊं!
रघुवर नेह तुम्हारा चाहूँ!!
तात-मात और भ्रात तुम्हीं हो
और कोई मैं नाम न जानूँ,
तुम ही प्रियतम, तुम्हीं सखा हो
इतना सा ही सत्य मैं मानूं!
एक तुम्हारी मृदुल स्मृति में
जीवन की हर सांझ बिताऊँ,
हर सन्ध्या और सुबह-सवेरे,
रामनाम की धुन मैं गाऊँ
श्वांस-श्वांस में नाम तुम्हारा,
हर धड़कन में तुमको पाऊँ!
रघुवर नेह तुम्हारा चाहूँ!
प्रभुवर नेह तुम्हारा चाहूँ !!
रचयिता
डॉक्टर श्वेता सिंह गौर,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय कन्या बावन,
बावन, हरदोई
प्रभुवर नेह तुम्हारा चाहूँ!!
झूठे सब नाते बिसराकर
एक तुम्हीं संग प्रीत निभाऊं!
रघुवर नेह तुम्हारा चाहूँ!!
तात-मात और भ्रात तुम्हीं हो
और कोई मैं नाम न जानूँ,
तुम ही प्रियतम, तुम्हीं सखा हो
इतना सा ही सत्य मैं मानूं!
एक तुम्हारी मृदुल स्मृति में
जीवन की हर सांझ बिताऊँ,
हर सन्ध्या और सुबह-सवेरे,
रामनाम की धुन मैं गाऊँ
श्वांस-श्वांस में नाम तुम्हारा,
हर धड़कन में तुमको पाऊँ!
रघुवर नेह तुम्हारा चाहूँ!
प्रभुवर नेह तुम्हारा चाहूँ !!
रचयिता
डॉक्टर श्वेता सिंह गौर,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय कन्या बावन,
बावन, हरदोई
वाह दी,,,
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